UPS vs NPS vs OPS: केंद्र सरकार ने कुछ ही दिन पहले यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दी है, जिससे सरकारी कर्मचारियों को गारंटीड पेंशन का लाभ मिलेगा।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) से पहले सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) और नई पेंशन स्कीम (NPS) जैसी योजनाएँ उपलब्ध थीं। वहीं अब सरकार ने UPS का विकल्प भी उपलब्ध कराया है।
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि कौन सी पेंशन योजना सरकारी कर्मचारियों के लिए सबसे बेहतर है—ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS), न्यू पेंशन स्कीम (NPS), या फिर यह नई UPS पेंशन योजना?
क्या यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) पहले से चल रही ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) और नई पेंशन स्कीम (NPS) को मात दे पाएगी?
आइए, समझते हैं कि UPS, NPS और OPS में से कौन सा विकल्प सरकारी कर्मचारियों के लिए बेहतर है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) क्या है?
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को हाल ही में केंद्र सरकार ने लागू किया है। इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को 25 साल की सेवा के बाद आखिरी वर्ष के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा।
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इसके साथ ही सरकार ने अपने अंशदान को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर दिया है, जिससे कर्मचारियों को अधिक लाभ मिलेगा।
UPS में कर्मचारियों के परिवार के लिए गारंटीड पेंशन, रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त भुगतान और न्यूनतम पेंशन की गारंटी भी शामिल है।
UPS को लागू करने के लिए सरकार को चालू वित्त वर्ष में लगभग 800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय करना पड़ेगा, जबकि योजना के लिए कुल 6250 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
UPS (यूनिफाइड पेंशन स्कीम) के लाभ
UPS में कर्मचारियों को 25 साल की सेवा के बाद उनके अंतिम वर्ष के औसत वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। UPS में कर्मचारियों का अंशदान NPS के समान 10% रहेगा, लेकिन सरकार का योगदान बढ़कर 18.5% कर दिया गया है।
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UPS में पारिवारिक पेंशन, गारंटीड न्यूनतम पेंशन, और रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त भुगतान की भी व्यवस्था है।
इस योजना से सरकार पर वित्तीय बोझ भी पड़ेगा। चालू वित्त वर्ष में UPS के लिए सरकार को लगभग 6250 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में आए और रिटायर हो चुके कर्मचारियों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा, बशर्ते वे इसे चुनते हैं।
OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम)
ओल्ड पेंशन स्कीम में सरकारी कर्मचारियों को पेंशन के लिए कोई अंशदान नहीं करना पड़ता। पेंशन के रूप में उन्हें अंतिम वेतन का 50% मिलता है।
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OPS में GPF (जनरल प्रोविडेंट फंड) का प्रावधान होता है, जिसमें कर्मचारी का 10% वेतन कटता है, और यह राशि रिटायरमेंट के समय ब्याज सहित मिलती है।
इस योजना में कर्मचारी अपनी पेंशन का एक हिस्सा बेच भी सकते हैं। अगर किसी कर्मचारी की पेंशन 25,000 रुपये है, और वह 5000 रुपये की पेंशन बेचता है, तो उसे 115 रुपये प्रति 100 रुपये के हिसाब से भुगतान किया जाता है। 15 साल बाद यह बेची हुई पेंशन फिर से बहाल हो जाती है।
NPS (न्यू पेंशन स्कीम)
NPS की शुरुआत 2004 में हुई थी, और इसमें कई राज्य सरकारों की सहमति थी। इस योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी को अपने फंड का 60% वापस मिल सकता है, जबकि बाकी 40% राशि से एन्युटी प्लान खरीदना होता है, जिससे उन्हें नियमित पेंशन मिलती है।
NPS में निवेश करने पर टैक्स छूट का भी लाभ मिलता है। इसके तहत 60% निकाली गई राशि टैक्स फ्री होती है, जो इसे और भी आकर्षक बनाती है।
कौन सी योजना है बेहतर?
तीनों पेंशन योजनाओं में अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। OPS में गारंटीड पेंशन मिलती है, लेकिन इसमें कर्मचारी को कोई योगदान नहीं करना पड़ता, जबकि NPS और UPS में योगदान करना जरूरी है।
UPS में गारंटीड पेंशन और सरकार का बढ़ा हुआ योगदान है, जो इसे अन्य योजनाओं से बेहतर बना सकता है। वहीं, NPS में टैक्स छूट और रिटायरमेंट के समय एकमुश्त राशि का फायदा है।
सरकारी कर्मचारियों के लिए कौन सी योजना बेहतर है, यह उनकी प्राथमिकताओं और वित्तीय स्थितियों पर निर्भर करता है।
अगर गारंटीड पेंशन की बात करें, तो UPS और OPS बेहतर विकल्प हैं, जबकि NPS टैक्स छूट और लचीलापन प्रदान करता है।